श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् Vindhyeshwari Stotram)
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निशुम्भ शुम्भ गर्जनी,
प्रचण्ड मुण्ड खण्डिनी ।
बनेरणे प्रकाशिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥

त्रिशूल मुण्ड धारिणी,
धरा विघात हारिणी ।
गृहे-गृहे निवासिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥

दरिद्र दुःख हारिणी,
सदा विभूति कारिणी ।
वियोग शोक हारिणी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥

लसत्सुलोल लोचनं,
लतासनं वरप्रदं ।
कपाल-शूल धारिणी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥

कराब्जदानदाधरां,
शिवाशिवां प्रदायिनी ।
वरा-वराननां शुभां,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥

कपीन्द्न जामिनीप्रदां,
त्रिधा स्वरूप धारिणी ।
जले-थले निवासिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥

विशिष्ट शिष्ट कारिणी,
विशाल रूप धारिणी ।
महोदरे विलासिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥

पुंरदरादि सेवितां,
पुरादिवंशखण्डितम्‌ ।
विशुद्ध बुद्धिकारिणीं,
भजामि विन्ध्यवासिनीं ॥

श्री विंध्येश्वरी स्तोत्रम् (श्री विंध्येश्वरी स्तोत्रम्) देवी दुर्गा के अवतार मां विंध्येश्वरी को समर्पित है। देवी विंध्येश्वरी निशुंभुआ और शुंभ नामक दो अत्यंत क्रूर राक्षसों का विनाश करने वाली हैं। देवी अपने भक्तों को बुरी ताकतों से बचाने और उन्हें चुनौतियों से निपटने के लिए शक्ति और साहस प्रदान करने के लिए जानी जाती हैं। माना जाता है कि श्री विंध्येश्वरी स्तोत्रम का जाप करने या सुनने से देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे भक्तों को सुरक्षा, शक्ति और मार्गदर्शन मिलता है।

विंध्येश्वरी माँ 51 शक्तिपीठों में से एक है, जो देवी शक्ति को समर्पित पवित्र स्थल हैं। उनका मंदिर एक प्रमुख तीर्थस्थल है, जो विशेष रूप से नवरात्रि त्योहारों के दौरान हजारों भक्तों को आकर्षित करता है। इन अवधियों के दौरान, तीर्थयात्री उनका आशीर्वाद लेने के लिए इकट्ठा होते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भक्तिपूर्वक उनकी पूजा करने से साहस, स्वास्थ्य और समृद्धि आती है।

Nishumbh Shumbh Garjani,
Prachanda Mund Khandini ।
Banerane Prakashini,
Bhajami Vindhyavasini ॥

Trishool Mund Dharini,
Dhara Vighat Harini ।
Gruhe-gruhe Nivasini
Bhajami Vindhyavasini ॥

Daridr Duhkh Harini,
Sada Vibhooti Karini ।
Viyog Shok Harini,
Bhajami Vindhyavasini ॥

Lasatsulol Lochanam,
Latsasan Varpardhan ।
Kapal-shool Dharini,
Bhajami Vindhyavasini ॥

Karabjadanadadharan,
Shivashivan Pradayini ।
Vara-varananam Subham,
Bhajami Vindhyavasini ॥

Kapindn Jaminipradan,
Tridha Swarup Dharini ।
Jale-thale Nivasini,
Bhajami Vindhyavasini ॥

Vishisht Shisht Karini,
Vishal Roop Dharini ।
Mahodare Vilasini,
Bhajami Vindhyavasini ॥

Punradaradi Sevitan,
Puradivanshakhanditam‌ ।
Vishuddh Buddhikarinin,
Bhajami Vindhyavasinin ॥

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